मेरठ //मौतों का सौदागर बना केएमसी अस्पताल का चेयरमैन डॉ सुनील गुप्ता।

 


अर्जुन त्यागी//

मानवता को तार-तार कर देने का मामला मेरठ में सामने आया है बागपत रोड पर स्थित केएमसी अस्पताल का चेयरमैन डॉ सुनील गुप्ता जिसके अस्पताल में 50 बेड की ही क्षमता है, और 193 कॉविड मरीजों को भर्ती कर इलाज करा रहा था,  पैसों के लालच में अंधा होकर ऑक्सीजन सप्लाई इंचार्ज देवेंद्र कुमार पर ऑक्सीजन प्रेशर कम करने का दबाव बनाया जाता था, जिस कारण अस्पताल में रोज 20 से 25 मौतें हो रही थी, देवेंद्र कुमार द्वारा ऑक्सीजन प्रेशर 4.1 कर दिए जाने पर बिंदु शर्मा स्टाफ नर्स सुनील गुप्ता की सहायक आकर  ऑक्सीजन प्रेशर को बार-बार कम कर दिया करती थी, जब यह सब देवेंद्र कुमार द्वारा नहीं देखा गया तो उसके द्वारा विरोध किया गया पिछले 10 ,11 साल से केएमसी अस्पताल में काम कर रहे देवेंद्र कुमार पर ऑक्सीजन की ज्यादा खपत करने का बहाना बनाकर उसके साथ अपने लोगों के साथ मिलकर मारपीट की गई, जब इसकी शिकायत उसने सीएमओ से करने की बात कही तो उसे जान से मारने का भी प्रयास किया गया, किसी तरह से जान बचाकर देवेंद्र कुमार अस्पताल से भाग निकला और क्षेत्राधिकारी के ऑफिस में पहुंचकर परिजनों के साथ मिलकर लिखित में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद उल्टे देवेंद्र कुमार पर ही सिलेंडर गबन और ऑक्सीजन में गड़बड़ी करने का आरोप लगा दिया गया उसे व उसके परिवार को जान से मारने की धमकी तक दी गई, यह गंभीर आरोप लगाए हैं देवेंद्र कुमार ने सुनील गुप्ता पर, देवेंद्र द्वारा कुछ मृतकों के परिवारों के भी नंबर टीम को उपलब्ध कराए गए, जब इसकी पड़ताल करने के लिए टीम मृतकों के पीड़ित परिवारों से मिली तो उनके द्वारा भी इन आरोपों की पुष्टि करते हुए एक मृतक हर्ष त्यागी देवलोक कॉलोनी के भाई हिमांशु त्यागी ने तो अपने पेशेंट की फोटो व रिपोर्ट तक भी दिखाई हिमांशु त्यागी ने तो यहां तक बताया की भाई का ऑक्सीजन लेवल 95% आने के अगले दिन बाद उन को मृत घोषित कर दिया गया व कोविड-19 गाइडलाइन का पालन न करते हुए उनकी बॉडी को खुले ही उनके सुपुर्द कर दिया गया बॉडी के ऊपर कपड़ा तक नहीं था और मृतक के हाथों से दो सोने की अंगूठियां भी निकाली गई जब इस विषय में उन्होंने जानकारी करने का प्रयास किया तो उनके साथ मारपीट की गई कोई बिल उनको नहीं दिया गया एक महिला ने व्हाट्सएप करके बताया है कि उनसे रोज ₹21000 तक का बिल दवाइयों टेस्ट वह इंजेक्शन आदि के पैसा अलग से लिए जाते थे, अब कई सामाजिक संगठनों राजनीतिक पार्टियों और व्यापार मंडल के इस लड़ाई में कूदने पर प्रशासन द्वारा इसकी जांच कराकर कार्रवाई करने का आश्वासन दिया गया है , अब देखना यह होगा कि जांच में क्या निकल कर आता है और इस मौत के सौदागर पर क्या कार्रवाई होती है।  






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